शिक्षक दिवस का अवसर था , स्टेज शो के सांस्कृतिक अनुष्ठानों ने समां बांध दिया था और छात्रों के उत्साह का ठिकाना नहीं था , पर ये समय था मुख्य अतिथि का विश्वविधालय में आगमन का , जिनको बड़े सम्मान के साथ बुलाया गया था और वह विश्वविधालय में पहुंचने ही वाले थे , ऐसे में जब किसीको समझ नहीं आ रहा था बच्चो को कुछ समय के लिए शांत कैसे करे , डॉक्टर मुक्ति भटनागर मैडम ने स्टेज में बागडोर संभाली और महज़ दो मिनट में बच्चो को न सिर्फ शांत किया बल्कि सबका मनोरंजन भी किया, ये मेरा पहला अनुभव था जब उनके बहुमुखी प्रतिभा से मेरा परिचय हुआ, ऐसे ही अनगिनत अवदानों की वजह से मैडम सबके दिलो में विराजमान रहेंगे और उनके आशीर्वाद से विश्वविधालय उचाईयों की बुलंदियों को ज़रूर छुएगा .

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